शुक्रवार, 12 दिसंबर 2008

दोराहे पर लड़कियाँ


दोराहे पर खड़ी लड़कियाँ
गिन -गिन कर कदम रखती हैं
कभी आगे-पीछे
कभी पीछे-आगे
कभी ये पुल से गुजरती हैं
कभी नदी में उतरने की हिमाकत करती हैं

ये अत्यन्त फुर्तीली और चौकन्नी होती हैं
किन्तु इन्हें दृष्टि-दोष रहता है
इन्हें अक्सर दूर और पास की चीजें नहीं दिखाई पड़तीं

ये विस्थापन के बीच
स्थापन से गुज़रती हैं
जीवन के स्वाद में कहीं ज्यादा नमक
कहीं ज्यादा मिर्च
... कहीं दोनो से खाली

दोराहे पर खड़ी लड़िकयाँ गणितज्ञ होती हैं
लेकिन कोई सवाल हल नहीं कर पातीं!
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चित्र गुगल सर्च इंजन से साभार
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