शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र राष्ट्रीय एकता सम्मान



मित्रो, पिछले लगभग दो माह से मन माँ के ही ईर्द-गिर्द घूमता रहा। चाहूं भी तो कहीं और नहीं जुड़ पाता । अभी इस सदमे से उबर नहीं पाई थी कि संवाद मिला प्रकाशन विभाग, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला भारतेन्दु हरिश्चन्द्र राष्ट्रीय एकता सम्मान , वर्ष - 2007 के लिये मेरी पुस्तक -पाण्डुलिपि “राष्ट्रीय एकता में भारतीय कवियों का योगदान ” का चयन किया गया है। वर्ष 2007 एवं वर्ष 2008 के राष्ट्रीय एकता पुरस्कार के लिये कोई अन्य विजेता नहीं हैं ।

दिनांक 29 मार्च, 2010, सोमवार को अपराह्न , पीआईबी कॉन्फ़्रेंस हॉल , शास्त्री भवन , नई दिल्ली में माननीया सूचना और प्रसारण मंत्री, भारत सरकार , श्रीमती अम्बिका सोनी के द्वारा एक समारोह में यह सम्मान प्रदान किया गया।






राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय कवियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भारतीय कवि चाहे वे जिस भाषा, क्षेत्र एवं काल के रहे हों, उन्होंने एक स्वर से प्रेम, एकता, बंधुत्व, सहृदयता को अपनी रचनाओं में वाणी दी है । आज हम उन मूल्यो-आदर्शों को तेजी के साथ भुलाते चले जा रहे हैं जिनके लिये हमारे कवियों ने अपना जीवन उत्सर्ग कर दिया। आज हमें अपनी अस्मिताए अपने अस्तित्व की रक्षा के लिये उनके अवदान पर चिन्तन -मनन करना आवश्यक हो गया है। मैंने संत कवि तिरूवल्लुवर, भक्त कवि नरसिंह मेहता, गुरू गोविन्द सिंह से लेकर सुब्रह्मण्य भारती, पहाड़ी गाँधी बाबा कांशीराम, पं. परमानन्द अलमस्त, क़ाज़ी नज़रूल इस्लाम, सुभद्रा कुमारी चैहान, रामधारी सिंह दिनकर आदि कवियों के अमृत रस को निचोड़ने का एक लघु प्रयास अपनी कृति में किया है।

माता-पिता सहित अन्य सभी बड़े-बुजुर्गों के आशीर्वाद और आप सभी मित्रों की शुभकामनायें मेरी शक्ति है। आप सबों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करती हूँ ।