गुरुवार, 6 मई 2010

चुप नहीं रह सकता आदमी





चुप नहीं रह सकता आदमी
जब तक हैं शब्द
आदमी बोलेंगे

और आदमी भले ही छोड़ दे लेकिन
शब्द आदमी का साथ कभी छोड़ेंगे नहीं

अब यह आदमी पर है कि वह
बोले ...चीखे या फुसफुसाये

फुसफुसाना एक बड़ी तादाद के लोगों की
फितरत है!

बहुत कम लोग बोलते हैं यहाँ और...
चीखता तो कोई नहीं के बराबर ...

शब्द खुद नहीं चीख सकते
उन्हें आदमी की जरूरत होती है
और ये आदमी ही है जो बार-बार
शब्दों को मृत घोषित करने का
षड्यंत्र रचता रहता है!

...............................................................
चित्र गुगल सर्च इंजन से साभार
.....................................................................