गुरुवार, 1 जनवरी 2009

प्रार्थना

मेघ से मेरी प्रार्थना है कि
अबकी बारिश के बाद
बरसे आग
गीली लकड़ियाँ सुलगे और मैं सेंकूँ
अपने चूल्हे पर गर्मागर्म फूली हुई
गोल-गोल रोटियाँ!


आग से मेरी प्रार्थना है कि
जले काई सीलन और बदबूदार वस्तुएँ
उपजे ढेर सारी किसिम-किसिम की सब्ज़ियाँ...
गेहूँ...और...धान...
भरे हर रसोई


लोक से है प्रार्थना मेरी कि
उसकी बिन ब्याही बेटी की बच्ची को
माँ का नाम मिले
हो उसका भी अपना एक घर-आँगन
उसकी देहरी पर भी थोड़ी-सी धूप
खिले!




..................................................................

आने वाला हर पल गुज़रे लम्हों से बेहतर हो
नव
वर्ष मंगलमय हो!
..............................................................................
...............................................................................................

49 टिप्‍पणियां:

सुनील मंथन शर्मा ने कहा…

bahut achchhi kavita, man ko chhu lane wali.

happy new year

अमिताभ मीत ने कहा…

लोक से है प्रार्थना मेरी कि
उसकी बिन ब्याही बेटी की बच्ची को
माँ का नाम मिले
हो उसका भी अपना एक घर-आँगन
उसकी देहरी पर भी थोड़ी-सी धूप
खिले!

आमीन !

२००९ आपको, आपके परिवार को, सारे संसार को .. मुबारक हो ! काश कुछ ख़्वाबों की ताबीर मिले ..

"अर्श" ने कहा…

नव वर्ष पे मंगलकामना के साथ ढेरो बधाई इतनी बढ़िया कविता के लिए



अर्श

Vinay ने कहा…

बहुत ही सुन्दर कविता है, नववर्ष की शुभकामनाएँ

Prakash Badal ने कहा…

बहुत ही अच्छी कविता आपने प्रस्तुत की है,
वाह! क्या बात है, अच्छे कवि कम ही मिल रहे हैं आप की कविता बहुत पसंद आई। आपको नव वर्ष की शुभकामनाएं।

Ashok Kumar pandey ने कहा…

आपकी चाहतो मे मेरा भी स्वर शामिल है।

बेनामी ने कहा…

Happy new year....bahut achi poem likha hai aapne.

shukriya.

पुरुषोत्तम कुमार ने कहा…

ईश्वर से एक प्राथॆना और कि यह प्राथॆना तो सुन ही ली जाए।
...हो उसका भी अपना एक घर-आँगन
उसकी देहरी पर भी थोड़ी-सी धूप खिले!
बहुत अच्छी कविता।.....कुछ कविताएं इतनी अच्छी होती हैं कि इसके अलावा और कुछ कहा ही नहीं जाता।
इसके अतिरिक्त यह कि बहुत ही साथॆक रचना है।

Bahadur Patel ने कहा…

sandhya ji,
मेघ से मेरी प्रार्थना है कि
अबकी बारिश के बाद
बरसे आग
गीली लकड़ियाँ सुलगे और मैं सेंकूँ
अपने चूल्हे पर गर्मागर्म फूली हुई
गोल-गोल रोटियाँ!

bahut achchhi kavita hai.
bahut kam shabdon me aap bahut kah jati ho.
tevar bhi aapake jabardast hote hai.
लोक से है प्रार्थना मेरी कि
उसकी बिन ब्याही बेटी की बच्ची को
माँ का नाम मिले

lok se prarthana karane se koi sunane wala nahin hai.
vaise bhi prarthana se kuchh milata nahin hai.
lok se manawane ki taqat hame paida karani hogi.
achchhi kavita ke liye badhai.

Pawan Nishant ने कहा…

आप जो बिंब लेते हैं, और उनका इतना कातर प्रयोग, इस साल के शुरू होने से पहले से मैं उन्हें महसूस कर रहा हूं। नव वर्ष की आत्मीय शुभकामनाएं।

पवन निशान्त

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

शब्दों के माध्यम से भाव और िवचार का श्रेष्ठ समन्वय िकया है आपने ।

आपको नववषॆ की बधाई । नया आपकी लेखनी में एेसी ऊजाॆ का संचार करे िजसके प्रकाश से संपूणॆ संसार आलोिकत हो जाए ।

मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है-आत्मिवश्वास के सहारे जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com

राज भाटिय़ा ने कहा…

नव वर्ष की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं !!!नया साल आप सब के जीवन मै खुब खुशियां ले कर आये,ओर पुरे विश्चव मै शातिं ले कर आये.
धन्यवाद

बहुत सुंदर लगी आप की कविता

Himanshu Pandey ने कहा…

एक असली पुजारी की प्रार्थना लगती है यह.

पवन निशान्त जी की बात से पूर्णतया सहमत हूं.

कविता के लिये धन्यवाद.

विजय गौड़ ने कहा…

अच्छी कविता है। बधाई।

बेनामी ने कहा…

अंतिम पैरा अति उत्तम,

मीत ने कहा…

हो उसका भी अपना एक घर-आँगन
उसकी देहरी पर भी थोड़ी-सी धूप
खिले!
बहुत ही सुंदर भाव...
सच को दर्शाती हुयी रचना...
सुंदर...
जारी रहे...
नववर्ष आपको भी मंगलमय हो...
---मीत

BrijmohanShrivastava ने कहा…

में सेकूं गोल गोल रोटियां, उन्हें जिनको नसीब नही होता कुछ भी खाने को /एक और प्रार्थना कि आग किसी का घर न जलाये /अन्तिम प्रार्थना लोक से करना व्यर्थ है उसे स्वम ही अपना आँगन और देहरी तयार करना होगी /प्रार्थना उनसे की जानी चाहिए जहाँ उसके सुने जाने की कोई उम्मीद हो

राजीव करूणानिधि ने कहा…

गीली लकड़ियाँ सुलगे और मैं सेंकूँ
अपने चूल्हे पर गर्मागर्म फूली हुई
गोल-गोल रोटियाँ!
बहुत ही भावनात्मक और रूह को झकझोर देने वाली कविता है. बधाई.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

मेघ से मेरी प्रार्थना है कि
अबकी बारिश के बाद
बरसे आग
गीली लकड़ियाँ सुलगे और मैं सेंकूँ
अपने चूल्हे पर गर्मागर्म फूली हुई
गोल-गोल रोटियाँ!
acchi lagi aapki paktiyan... accha likhti hain aap...bhai.

नववर्ष की शुभकामनाएँ....

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

अरे वाह....
फिर से से बहुत ही प्रभावशाली लिखा है आपने..
बहुत ही सकारत्मक सोच के साथ लिखा है.....



अक्षय-मन

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

Sandhya ji,
Bahut hee sundar prarthana kee hai apne apnee kavita ke madhyam se.Sachche dil se kee gayee prarthana hamesha faleebhoot hotee hai.
Apko bhee nav Varsha kee shubh kamnayen.
Hemant Kumar

hem pandey ने कहा…

बहुत दिनों बाद फ़िर एक सुंदर रचना देने के लिए साधुवाद.

गौतम राजऋषि ने कहा…

नया साल मुबारक हो संध्या जी....और साल की शुरूआत ही इतनी शानदार रचना से करवायी,उसके लिये शुक्रिया...
नव-वर्ष की समस्त शुभकामनायें आपको और भगवान करे आपकी लेखनी यूं ही नित नये करामात दिखाती रहे..
"पुनर्नवा" का दिसंबर अंक पढ़ा तो वहाँ भी आपकी ये जबरदस्त कविता,अभी पिछले पोस्ट वाली,"दोराहे पर..."..दिखी.बधाई हो

विवेक सिंह ने कहा…

वाह वाह ! बहुत खूब सन्ध्या जी !

कडुवासच ने कहा…

...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

admin ने कहा…

बहुत सुन्‍दर कविता है, बधाई।


नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाऍं।

abhivyakti ने कहा…

bahut hi bhavpoorn likha hai .nav varsh ki hardik shubhkamnaye.

संतोष कुमार सिंह ने कहा…

आग के माध्यम से आपकी प्रस्तुति वाकय बिंदास हैं, इस तरह की रचनाये दुमका जैसे छोठे से कसबों में ही सम्भव हैं।
नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ—संतोष(ई0टी0भी0पटना)

डॉ .अनुराग ने कहा…

काश आप की सारी दुआए कबूल हो........सारी की सारी........आमीन !

Udan Tashtari ने कहा…

आपकी इस प्रार्थना में हमें भी शामिल समझिये.

नववर्ष में आपके सारी दुआऐं कबूल हों. मंगलकामनाऐं.

बेनामी ने कहा…

Dr. Anurag ke shabdon me :

काश आप की सारी दुआए कबूल हो........सारी की सारी........आमीन !

शुभकामनाएँ ।

Sushil Kumar ने कहा…

संध्या गुप्ता झारखंड की एक अत्यंत सम्भावनशील कवयित्री हैं और हिंदी की उत्कृष्ट पत्रिकाओं में सतत अपनी उपस्थिति भी बनाये रखने को प्रयत्नशील भी दीखती हैं। इनके इस कविता-ब्लॉग की जानकारी मुझे बिलम्ब से मिली। प्रस्तुत कविता ‘प्रार्थना’को पढ़ते हुये मुझे लगा कि यहाँ हमारे लोक को उसके दैन्यवस्था से उबारने के वस्तुत: एक स्त्री-मन के अनहद-आराधन-एकांत-नीरव स्वर को आर्द्र-अभिव्यक्ति प्रदान की गयी है जिसके पार्श्व में धँसकर कोई एक नारी की मनोगत गहरी सामाजिक व्यथा का निनाद भी बजता हुआ सुन सकता है। देखिये-

“लोक से है प्रार्थना मेरी कि
उसकी बिन ब्याही बेटी की बच्ची को
माँ का नाम मिले
हो उसका भी अपना एक घर-आँगन
उसकी देहरी पर भी थोड़ी-सी धूप
खिले!”

द्वितीयत: कि, झारखंड की माटी की गंध से सनी यह कविता अपने काव्य-समकाल के संवेग और दशा को पकड़ कर लिखी गयी प्रतीत होती है जहाँ मात्र काल-सापेक्ष समाज की विद्रुपता-भयावहता और टूटन की कसक़ को ही नहीं लक्ष्य किया जा सकता ,वरन उसके दु:ख से निस्तार पाने के सार्थक हस्तक्षेप के रूप में कविता के बिम्ब-उपकरणों के सफल समायोजन पर भी पाठक की नज़र जाती है जो कविता के संप्रेषणीयता को अक्षुण्ण(intact)रखने में बहुत सफल मानी जा सकती है। । मेरी शुभकामनायें।
-सुशील कुमार।(sk.dumka@gmail.com)
http://www.sushilkumar.net
http://diary.sushilkumar.net

प्रदीप मानोरिया ने कहा…

बहुत सुंदर अद्भुत प्रार्थना सार्थक प्रार्थना धन्यबाद

दिगम्बर नासवा ने कहा…

लोक से है प्रार्थना मेरी कि
उसकी बिन ब्याही बेटी की बच्ची को
माँ का नाम मिले
हो उसका भी अपना एक घर-आँगन
उसकी देहरी पर भी थोड़ी-सी धूप
खिले!

आमीन............नयी साल मैं यह सब कुछ हो

द्विजेन्द्र ‘द्विज’ ने कहा…

बहुत खूब !


बहुत सार्थक दुआ.

हे ईश्वर !
हे मेघ !
हे अग्नि
हे लोक ! ये सब प्रार्थनाएँ
सादर स्वीकार करना.

vijay kumar sappatti ने कहा…

bahut sundar rachna . dil ko chooti hui , aur aasha ke deep jalati hui .. bhaavpoorn hai ji

badhai ..

maine kuch nayi nazmen likhi hai , padhiyenga..

vijay
Pls visit my blog for new poems:
http://poemsofvijay.blogspot.com/

cg4bhadas.com ने कहा…

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए, अलविदा २००८ और
2009 के आगमन की हार्दिक शुभकामनायें स्‍वीकार करे,
Welcome to the Cg Citizen Journalism
The All Cg Citizen is Journalist"!

cg4bhadas.com ने कहा…

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए, अलविदा २००८ और
2009 के आगमन की हार्दिक शुभकामनायें स्‍वीकार करे,
Welcome to the Cg Citizen Journalism
The All Cg Citizen is Journalist"!

कुमार मुकुल ने कहा…

लोक से है प्रार्थना मेरी कि
उसकी बिन ब्याही बेटी की बच्ची को
माँ का नाम मिले
- नववर्ष मुबारक हो संध्‍याजी,आपकी कविता अच्‍छी लगी और आपके विचार भी

Unknown ने कहा…

achhi prastuti.....badhai....

Jai HO magalmay Ho..

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

बहुत अच्छे भाव हैं ...बहुत-बहुत बधाई...

अवाम ने कहा…

बहुत ही सुंदर रचना है. नव वर्ष की शुभकामनायें. नया साल आपको शुभ हो, मंगलमय हो.

shelley ने कहा…

bahut hi pyari kavita hai. or utni hi pyari hain aapki lok se ki gai prathna.

बेनामी ने कहा…

Adbhut. abhar.

बेनामी ने कहा…

Aap ki is prarthana me hum sab aapke sath hain.

Rakesh Kumar Singh

सुजाता ने कहा…

उम्दा कविता , आपके सरोकार हमारे भी सरोकार है।

प्रदीप कांत ने कहा…

लोक से है प्रार्थना मेरी कि
उसकी बिन ब्याही बेटी की बच्ची को
माँ का नाम मिले
हो उसका भी अपना एक घर-आँगन
उसकी देहरी पर भी थोड़ी-सी धूप
खिले!

- एक बहुत शुभकामना

बेनामी ने कहा…

Bahut achchi lagi aapki prarthna.

बेनामी ने कहा…

"हम में से बिरले ही जानते हैं कि सफल और परिणामदायी प्रार्थना कैसे की जाती है? "
आपको जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि केवल ‘‘एक वैज्ञानिक प्रार्थना हमारा जीवन बदल देगी|’’ सही, उद्देश्यपूर्ण, सकारात्मक ‘‘वैज्ञानिक प्रार्थना’’ का नाम ही-"कारगर प्रार्थना" है!
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हम में अधिकतर लोग तब प्रार्थना करते हैं, जबकि हम किसी भयानक मुसीबत या समस्या में फंस जाते हैं| या जब हम या हमारा कोई किसी भयंकर बीमारी या मुसीबत या दुर्घटना से जूझ रहा होता है, तो हमारे अन्तर्मन से स्वत: ही प्रार्थना निकलती हैं| क्या इसका मतलब यह है कि हमें प्रार्थना करने के लिये किसी मुसीबत या अनहोनी के घटित होने का इन्तजार करना चाहिए! हमें सामान्य दिनों में भी, बल्कि प्रतिदिन ही प्रार्थना करनी चाहिये, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि "हम में से बिरले ही जानते हैं कि सफल और परिणामदायी प्रार्थना कैसे की जाती है? " यही कारण है कि अनेकों बार मुसीबत के समय में हमारे ह्रदय से निकलने वाली, हमारी सामूहिक प्रार्थनाएँ भी सफल नहीं होती है! ऐसे में हम निराश और हताश हो जाते हैं और प्रार्थना की शक्ति के प्रति हमारी आस्था धीरे-धीरे कम या समाप्त होती जाते है! हमारा विश्वास डगमगाने लगता है, जबकि इस असफलता के लिए हमारी मानसिक अज्ञानता अधिक जिम्मेदार होती है!

क्योंकि हम में से बहुत कम लोग जानते हैं कि हम दुख, क्लेश, तनाव, ईर्ष्या, दम्भ, अशान्ति, भटकन, असफलता और अनेकों ऐसे डरों से भरे अपने जीवन को सही दिशा में मोड़कर जीवन के असली मकसद और अपनी सकारात्मक मंजिल को आसानी से कैसे प्राप्त कर सकते हैं| आपको जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि केवल ‘‘एक वैज्ञानिक प्रार्थना हमारा जीवन बदल देगी|’’ सही, उद्देश्यपूर्ण, सकारात्मक ‘‘वैज्ञानिक प्रार्थना’’ का नाम ही-"कारगर प्रार्थना" है! जिसका किसी धर्म या सम्प्रदाय से न तो कोई सम्बन्ध नहीं है और न ही किसी धर्म में इसका विरोध है| यह ‘‘वैज्ञानिक प्रार्थना’’ तो हर एक मानव के जीवन की भलाई और समाज तथा राष्ट्र के उत्थान के लिये बहुत जरूरी है| मैं समझता हूँ कि "किसी भी धर्म में इसकी मनाही नहीं है|" लेकिन आपका जीवन आपका अपना है! निर्णय आपको करना होगा कि आप इसे कैसे व्यतीत करना चाहते हैं? आप अपने जीवन को पल प्रतिपल घुट-घुट कर और आंसू बहाकर रोते हुए काटना चाहते हैं या अपने जीवन में प्रकृति के हर एक सौन्दर्य, खुशी और अच्छाईयों को बिखेरना चाहते हैं?

इस संसार में केवल और केवल आप ही अकेले वो व्यक्ति हैं, जो इस बात का निर्णय लेने में समर्थ हैं कि आप अपने अमूल्य और आलौकिक जीवन को बर्बाद होते हुए देखना चाहते हैं या आप अपने जीने की वर्तमान जीवन पद्धति, अपनी सोचने की रीति, खानपान की रीति और अपने तथा दूसरों के प्रति आपकी सोचने, समझने और चिन्तन करने की धारा को सही दिशा में परिवर्तित करके और बदलकर वास्तविक तथा सही अर्थों में अपने जीवन को सम्पूर्णता से जीना चाहते हैं या नहीं?

सेवासुत डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
मार्गदर्शक : ‘‘वैज्ञानिक प्रार्थना’’
Ph. No. 0141-2222225 (Between 07 to 08 PM)
(If I am Available in JAIPUR, Rajasthan)
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http://youmayaskme.blogspot.com/
dr.purushottammeena@yahoo.in
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