रविवार, 9 अगस्त 2009

मैथिलीशरण गुप्त सम्मान

प्रिय मित्रो , आपने शिकायत की है कि मैंने आपको मैथिलीशरण गुप्त सम्मान के बारे में जानकारी नहीं दी। इसके लिये मैं क्षमा प्रार्थी हूँ। दरअसल मैंने सोचा कि समाचार पत्रों के माध्यम से तो इसकी जानकारी आप सबों को हो ही जायेगी। खैर विलम्ब के लिये क्षमा याचना सहित सहर्ष सूचित कर रही हूँ कि दि0, 03 अगस्त, 09 को राष्ट्रकवि मैथिलीशरणगुप्त की जन्म तिथि के पावन अवसर पर हिन्दी भवन, नई दिल्ली में मेरी पुस्तक ,कविता संग्रह, "बना लिया मैंने भी घोंसला"(राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली) को राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त विशिष्ट सम्मान-09 प्रदान किया गया । उक्त पुस्तक का चयन पिछले पाँच वर्षों में प्रकाशित 100 काव्यकृतियों में से किया गया। सभी पाठकों एवं शुभेच्छुओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए इस पुस्तक की शीर्षक कविता आप के समक्ष प्रस्तुत कर रही हूँ -


बना लिया मैंने भी घोंसला


घंटों एक ही जगह पर बैठी
मैं एक पेड़ देखा करती

बड़ी पत्तियाँ...छोटी पत्तियाँ...
फल-फूल और घोंसले ....

मंद-मंद मुस्काता पेड़
खिलखिला कर हँसतीं पत्तियाँ...
सब मुझसे बातें करते!!

कभी नहीं खोती भीड़ में मैं
खो जाती थी अक्सर इन पेडों के बीच!

साँझ को वृक्षों के फेरे लगाती
चिड़ियों की झुण्डों में अक्सर
शामिल होती मैं भी!

...और एक रोज़ जब
मन अटक नहीं पाया कहीं किसी शहर में
तो बना लिया मैंने भी एक घोंसला
उसी पेड़ पर!

.................................

66 टिप्‍पणियां:

विजय गौड़ ने कहा…

बधाई एवं शुभकामनाएं।

siddheshwar singh ने कहा…

बधाई !
अच्छी खबर !
दर असल भाषायी समाचार पत्र इतने क्षेत्रीय हो गए हैं कि दूसरे इलाकों की खबरें मिल ही नहीं पाती हैं.
पुन: बधाई !

पुरुषोत्तम कुमार ने कहा…

प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए ढेर सारी बधाई।
और कविता तो अच्छी है ही।

Unknown ने कहा…

aapko haardik badhaai !

अनूप शुक्ल ने कहा…

आपको बहुत-बहुत बधाई!

प्रकाश पाखी ने कहा…

आदरणीय संध्या जी,
हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं स्वीकार करें...
कविता सचमुच बहुत अच्छी लगी...पुस्तक पढने की अभिलाषा है...
यदि संभव हो तो कुछ और कविताए ब्लॉग पर दे ...

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया खबर सुनाई.

आपको अनेक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

ऐसे मौकों पर मिठाई खिलाने का भी चलन है. :)

उन्मुक्त ने कहा…

बधाई

ravishndtv ने कहा…

बधाई

seema gupta ने कहा…

आपको बहुत-बहुत बधाई!

regards

प्रकाश गोविंद ने कहा…

प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलाने पर हार्दिक बधाई !
उम्मीद है की अभी ऐसे बहुत सारे पड़ाव आयेंगे !
शुभ कामनाएं

मिठाई खाने आऊँ या मेल से भेजेंगी ?

मीत ने कहा…

दिल खोल कर बधाई... स्वीकार करें...
मीत

Arshia Ali ने कहा…

Are Waah, BAHUT BAHUT BADHAAYI.
{ Treasurer-T & S }

दिगम्बर नासवा ने कहा…

AAPKO BAHOOT BAHOOT BADHAAI AUR SHUBHKAAMNAAYEN..... BHAGVAAN AAPKO AUR OONCHAA STAAN DE SAAHITY JAGAT HAIN.........
BAHOOT HI SUNDAR RACHNA HAI AAPKI...

ओम आर्य ने कहा…

behad khubsoorat our sundar bhaw .....jisame bahut hi gaharai hai

sanjay vyas ने कहा…

बहुत बहुत बधाई. सच कहाँ आपने कहीं, साहित्य में भाव प्रधान है.उन्मुक्त होकर ही व्यक्त हो पाता है रचनाकार. पुनः बधाई और संग्रह से हो सके तो कवितायेँ यहाँ दें. आग्रह.

Atmaram Sharma ने कहा…

पुरस्कार के लिए बधाई और शुभकामनाएँ.

ज्योति सिंह ने कहा…

komalata ko sparsh karati hui .main to isme kho gayi rahi ,prakriti ki sundarata moh hi leti hai .sundar .

Dr.Ajay Shukla ने कहा…

कभी नहीं खोती भीड़ में मैं
खो जाती थी अक्सर इन पेडों के बीच!

Yah to meri anubhuti hai!

Samman ke liye dher sari badhai.

BrijmohanShrivastava ने कहा…

पुरस्कार के लिए ढेर सारी बधाई।

सुशीला पुरी ने कहा…

बहुत बहुत बधाई .....चमन स आ रही है खुशबु ए बहार .......

"MIRACLE" ने कहा…

बहुत -बहुत बधाई ...ईश्वर आपके ऊपर ऐसे ही सम्मान की बारिश करता रहे ....

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

और एक रोज़ जब
मन अटक नहीं पाया कहीं किसी शहर में
तो बना लिया मैंने भी एक घोंसला
उसी पेड़ पर!
Sandhya ji,
hardik badhai evam shubhkamnayen.apkee yah sheershk kavita to apke andar ke prakriti prem ka dyotak hai.
Poonam

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

jab bhi kisi sahityik krati ko puruskrat kiya jata he, man aanand se vibhor ho jata he// aapko badhaai/
pustak ke prati ek lalsa jaag uthi ki kya padhhne ko prapt ho sakti he? kese? krapiya sujhaiye/

Prem ने कहा…

vvvसम्मान के लिए बधाई एवं हार्दिक शुभकामनायें .शीर्षक कविता बहुत ही अच्छी लगी .

Asha Joglekar ने कहा…

बधाई संध्याजी, बहुत बहुत बधाई ।

vishnu sah ने कहा…

Jharkhand ke naam ko aur age le jayen.Bahut badhai.

शोभना चौरे ने कहा…

bhut bhut badhai
kavita achhi hai .aur kvitaye pdhne ki utsukata hai.

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

एक महाप्रतिष्ठित सम्मान से अलंकृत होने पर हमारी हार्दिक शुभकामनाएं.
जन्माष्टमी और स्वतंत्रता-दिवस की भी हार्दिक बधाइयाँ.
बधाई!...बधाई!!.....बधाई!!!..............

KK Yadav ने कहा…

Mubarak ho...mithai bhi to bhijvayen !!

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें. "शब्द सृजन की ओर" पर इस बार-"समग्र रूप में देखें स्वाधीनता को"

vikram7 ने कहा…

धन्यवाद भूल की ओर ध्यान दिलाने के किये,
स्‍वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

hem pandey ने कहा…

बधाई पुरस्कार और सुन्दर कविता दोनों के लिए -
...और एक रोज़ जब
मन अटक नहीं पाया कहीं किसी शहर में
तो बना लिया मैंने भी एक घोंसला
उसी पेड़ पर!

Ria Sharma ने कहा…

Bahut badhaii evam Subhkamnayen !!!

kavita behad sundarta se rachii gayi hai !!

संगम Karmyogi ने कहा…

आपने तो अपनी इस कविता में मनुष्य के सारे गुणों की व्याख्या ही कर दी है..
बहुत खूब..बधाई!

द्विजेन्द्र ‘द्विज’ ने कहा…

bahut bahut badhaaee.

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

संध्या जी,
ऐसे प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई

mark rai ने कहा…

प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए ढेर सारी बधाई......

Unknown ने कहा…

bahut barhia... isi tarah likhte rahiye

http://hellomithilaa.blogspot.com
mithilak gap maithili me

http://mastgaane.blogspot.com
manpasand gaane

http://muskuraahat.blogspot.com
Aapke bheje photo

संजीव गौतम ने कहा…

संध्या जी आपकी नेहयुक्त टिप्पणी के लिये शुक्रिया.
आपके कविता संग्रह को सम्मान प्राप्त होगा यह हम सबके लिये गौरव की बात है. आपको आत्मिक बधाई.
संग्रह से प्रस्तुत रचना बहुत अच्छी है.

Smart Indian ने कहा…

बड़ी खुशी की बात है, बधाई!

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

Bahut Bahut Badhayi...is uplabdhi ke liye..
bhagwaan kare aap nirantar isi tarah sahity jagat me agrsar hoti rahe..

जीवन सफ़र ने कहा…

हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

BrijmohanShrivastava ने कहा…

"बना लिया मैंने भी घौसला "को राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त विशिष्ट सम्मान-09 प्रदान होने पर बहुत बहुत बधाइयाँ

Bahadur Patel ने कहा…

bahut-bahut badhai apako.
kavita achchhi hai.

Harshvardhan ने कहा…

smaan milne ke liye aapko badhayi

Crazy Codes ने कहा…

sabse pahle to badhayi...
ek afsos bhi jahir karna chahta hun... aaj hindi ka ye haal hai ki sammanit pustak bhi dukano mein nahi dikhti jabki stall english ke ajeebo-garib magzino se bhare pade hai...

aapki kavita pasand aayi... sambhav ho to pata bataye jahan se main aapka kavita-sangrah le sakun...

प्रदीप कांत ने कहा…

बहुत-बहुत बधाई!

बेनामी ने कहा…

India Today me samman ke bare me padh chuka tha.bahut bahut badhai.idhar dubara delhi ana ho to suchit karengi.

akhilesh sharan

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

बेहतरीन कविता... आपको बधाई.. चयनकर्ताऒं को साधुवाद लेकिन आप दिल्ली आई और कोई सूचना भी नहीं दी.. खैर.... कोटिशः बधाई..

Urmi ने कहा…

प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए आपको ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें !

Khushdeep Sehgal ने कहा…

संध्याजी हार्दिक बधाई, ऐसे सफलता के सोपान आप के सानिध्य में गौरान्वित होते रहें, यही कामना है. मुझ जैसे नए ब्लॉगर के लिए आपका उत्साहवर्धन कुछ अलग करने की प्रेरणा देता रहेगा.

Kaushal Kishore , Kharbhaia , Patna : कौशल किशोर ; खरभैया , तोप , पटना ने कहा…

मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार करें
कौशल किशोर
magahdes.blogspot.com

बेनामी ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
मनोज भारती ने कहा…

आपकी कविता अच्छी लगी ।
गुंजअनुगूंज पर आने के लिए धन्यवाद ।

हार्दिक शुभकामनाएँ

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत दिन हुए, कुछ नया लिखिए।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

vikram7 ने कहा…

राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त विशिष्ट सम्मान-09 ,से सम्मानित किये जाने पर मेरी शुभकामनायें स्वीकार करे.
कभी नहीं खोती भीड़ में मैं
खो जाती थी अक्सर इन पेडों के बीच!

और एक रोज़ जब
मन अटक नहीं पाया कहीं किसी शहर में
तो बना लिया मैंने भी एक घोंसला
उसी पेड़ पर!
मन को छूती सुन्दर रचना

Ashok Kumar pandey ने कहा…

इधर काफ़ी व्यस्त रहा
क्षमा चाहता हूं

सम्मान के लिये बधाई
और ढेरों शुभकामनायें

Reetika ने कहा…

Dil se shubhekshayein !!

Dinesh Saroj ने कहा…

संध्याजी, पहले तो आप मेरी तरफ से भी ढेरों बधाईयाँ स्वीकार करें,
मेरे ब्लॉग पर आकर हौसला आफजाई के लिए आपका आभारी हूँ...
आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ....
आप की रचनाएँ रुचिकर लगी....

अंजना ने कहा…

संध्या जी,पुरस्कार के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई ।बहुत ही सुन्दर कविता है।मेरे ब्लॉग पर आने ओर टिप्पणी करने के लिए भी आप का धन्यवाद ।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

badhai .......

aur shubhkaamnayen..........

और एक रोज़ जब
मन अटक नहीं पाया कहीं किसी शहर में
तो बना लिया मैंने भी एक घोंसला
उसी पेड़ पर!

dil ko chhoo gayi yeh line......

Unknown ने कहा…

sandhya ji
hardik badhai
acha laga ek sache kavi ka samman
aap ki ye panktiyan kitna kuch keh jati hai
aapke kavi ke bare mein mein esper likhna apne bus mein nahi samajta ...bahut badhai...wah kya likhti hai aap......
कभी नहीं खोती भीड़ में मैं
खो जाती थी अक्सर इन पेडों के बीच!

लता 'हया' ने कहा…

bahut bahut shukria,
samman ke liye mubarakbad qubul karein;

bade jatan se banaya hai aashiyan(GHONSALA)tune,
ilahi barq ko is baat ka pata na lage.

Ashok 'Ashu' ने कहा…

शुरु में लगा कि यह तो एक रोमैंटिक कविता है, लेकिन फिर गौर से देखा तो वहाँ उस रोमांस के इर्द-गिर्द चिड़ियों और पेड़ों के बीच बसी वो इंसानी बस्ती भी नजर आई जो आहिस्ता-आहिस्ता पेड़ों और चिड़ियों की दुश्मन बनती जा रही है. हम चिड़ियों और पेड़ों के बीच रहते-रहते इसके दुश्मन क्यों हो जाते हैं?
(!)
बड़ी खूबसूरत कविता.

-अशोकपुत्र नमितांशु

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आज आपकी ये रचना पढ़ी....देर से ही सही ...पर मन को छू गयी....बहुत अच्छी रचना

संजय भास्‍कर ने कहा…

SANDHYA DIDI
आपको अनेक बधाई एवं शुभकामनाऐं.