शनिवार, 12 दिसंबर 2009

बाज़ार

यह
तुम्हारे लिये है
पर
तुम्हारा नहीं है !


...........................

57 टिप्‍पणियां:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

सही व्याख्या..... छोटी मगर अच्छी रचना....

पुरुषोत्तम कुमार ने कहा…

wah. bahut sundar.

siddheshwar singh ने कहा…

बाज़ार तो
खुद बाज़ार का भी नहीं !
किसका?
पता नहीं !

फिर गर्म है बाज़ार का बाज़ार
कुद का ओल लगाए
घूम रहे हैं खरीददार !

siddheshwar singh ने कहा…

खुद का मोल लगाए

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया!!

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

अरे वाह!!

राकेश यादव ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
Udan Tashtari ने कहा…

कम शब्दों में बड़ी बात!! वाह!

Unknown ने कहा…

यही तो होता है ,जो चीजें मेरे लिए हैं मेरी नहीं तुम्हारे लिए हैं तुम्हारी नहीं

वैभव ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
दिगम्बर नासवा ने कहा…

कम शब्दों में लिखी गहरी बात ........ सच है बाज़ार किसी का नही है .....

अजय कुमार झा ने कहा…

इतनी दमदार परिभाषा ....वाह

vandana gupta ने कहा…

waah ........bahut hi gahri baat chand lafzon mein .........ati sundar.

मीत ने कहा…

इतना सत्य, इतना दर्द छिपा है इन चंद शब्दों में...
निशब्द हूँ...
मीत

daanish ने कहा…

bahut km shabdoN meiN
aisi gehri aur sachchee baat !!
aapki lekhni ko salaam .

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

समझा दिया आपने

अर्कजेश ने कहा…

दुरुस्‍त है ।

श्याम जुनेजा ने कहा…

AAJ AAPKI "SAMKALEEN BHARTIY SAHITY" MEIN DO RACHNAYEIN PADI "SATH" AUR "SATAH PAR" DONO HI BAHUT SUNDAR.. AUR YAH BAZAR KO LEKAR PANKTI.. ADBHUT!!
KOI NAYA SANKALAN NIKLA HO TO SUCHIT KARIYE

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

Kam shabdon men bahut kuchh kahatee rachana---
Poonam

kshama ने कहा…

Waah! Chand alfaaz...lekin kya kuchh nahee jatate!

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

बेहतरीन रचना
बहुत -२ हार्दिक शुभ कामनाएं

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

kya baat hai sandhya ji....wah

Asha Joglekar ने कहा…

कितना सही
हमारे लिये है
पर हमारा नही ।

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

-बाजार किसी का नहीं होता
-vah!

निर्झर'नीर ने कहा…

sandhya ji

aapko pahli baar padha ..aisa laga ki kisi bahut gahre insan ka likha hua hai.

or jaise jaise aapki rachnaye padhi to ye bhi maloom hua ki aapko itna baraa samman mila hai ..man prasann hua or shobhagy ki baat ki aapko padhne ka mauka mila .

beshaq aap samman ki haqdaar hai.

bandhai swikaren.

Alpana Verma ने कहा…

waah! bahut khoob lagi yah kshanika!

बेनामी ने कहा…

bahut hi marak bat kahi Aapne satsaiya ke dohre ki tarah !
shubhkamnayen

hem pandey ने कहा…

बाजार ने तुमको (हमको) गुलाम बना दिया है.

ज्योति सिंह ने कहा…

bahut khoob ,moti anmol hai .kavyaanjali par intjaar hai .

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

GAANDHI, LAMP POST aour BAAZAAR
ye teen padhhne se rah gai thi..,
sandhyaji, yakeen maaniye, kam shbdo me arth deti rachnaa aapki behatreen upalbdhi he..kyaa jabardast baat he..vichaar he aour unkaa pratifal....

गौतम राजऋषि ने कहा…

उफ़्फ़्फ़....बहुत ही सशक्त क्षणिका मैम!

कडुवासच ने कहा…

... बहुत खूब, "गागर में सागर" !!!!!!

Dr.Ajay Shukla ने कहा…

apki is vyakhya ko to shabdkosh me jagah milni chahiye.

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

Gaagar men saagar se bhi zyaadaa.

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अंग्रेज़ी का तिलिस्म तोड़ने की माया।
पुरुषों के श्रेष्ठता के 'जींस' से कैसे निपटे नारी?

आशु ने कहा…

गागर में सागर भर दिया है आप ने..

नव वर्ष की शुभकामनाये ..

आशु

आशु ने कहा…

गागर में सागर भर दिया है आप ने..

नव वर्ष की शुभकामनाये ..

आशु

आशु ने कहा…

गागर में सागर भर दिया है आप ने..

नव वर्ष की शुभकामनाये ..

आशु

Prem ने कहा…

may God grace fill your ife in coming new year.

vishnu sah ने कहा…

नव वर्ष मंगलमय हो

Smart Indian ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना.
आपको सपरिवार नववर्ष की शुभकामनाएं!

daanish ने कहा…

आज के सच की
सटीक व्याख्या
बहुत ही सार्थक रचना

नव वर्ष २ ० १ ० की
मंगल कामनाएं

रंजीत/ Ranjit ने कहा…

naya varsha mubarak ho.
2010 me shyad is Bazar kee haqiqat ujagar ho.
Ranjit

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

गागर में सागर।

नव वर्ष की अशेष कामनाएँ।
आपके सभी बिगड़े काम बन जाएँ।
आपके घर में हो इतना रूपया-पैसा,
रखने की जगह कम पड़े और हमारे घर आएँ।
--------
2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्कार घोषित।

रचना दीक्षित ने कहा…

इसे कहते हैं निशब्द

Akanksha Yadav ने कहा…

Kam shabdon men badi bat...dilchasp.

प्रदीप जिलवाने ने कहा…

बाजार को लेकर यह छोटी सी कविता में गंभीरता है और चिंता है. बधाई.

ushma ने कहा…

आपको नये साल २०१० की असंख्य शुभ कामनाये !

प्रदीप कांत ने कहा…

छोटी किंतु बहुत सश्क्त रचना।

RAJ SINH ने कहा…

उफ़ !

क्या सिद्दत से " बाज़ार " बतलाया है .

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

कमाल है!!!!

श्याम जुनेजा ने कहा…

काश! बाज़ार-मोहितों को यह सच समझ में आ जाये ? यह कविता बिना किसी अतिशयोक्ति के अत्याद्भुतम!

Indrani ने कहा…

Great meaningful lines.

Happy New Year to you and yours!

बेनामी ने कहा…

कुछ न कहकर भी सब कुछ कह दिया.

सर्वत एम० ने कहा…

एक इतनी नन्ही सी कविता और इतना बड़ा कैनवस!! अद्भुत, चमत्कार.
बहुत देर से आपके ब्लॉग पर आया हूँ, उम्मीद है आप देर आये दुरुस्त आए मान लेंगी.
नव वर्ष पर शुभकामनाओं के साथ एक निवेदन---
अब कुछ नया पोस्ट कर दें.

Urmi ने कहा…

आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया रचना लिखा है आपने!

Meher Alok ने कहा…

bahut badhiya likha hai aapne!!!
bhadhai sweekar karein|

Himanshu Mohan ने कहा…

सशक्त और प्रभावी