कुम्हार ने मिट्टी के ढेलों को पहले तोड़ा
फिर उन्हें बारीक किया और पानी डाल कर भिगोया
मिट्टी को पैरों से खूब रौंदने के बाद
उसे हाथों से कमाया
मिट्टी घुल मिल कर एक हो गयी
बिलकुल गूँथे हुए आटे की तरह
कमाई हुई मिट्टी को कुम्हार ने चाक पर रखा
एक डंडे के सहारे चाक को गति दी
इतनी गति की वह हवा से बातें करने लगा
चाक पर रखी मिट्टी को कुम्हार के कुशल हाथ
आकृतियां देने लगे
मिटटी सृजन के उपक्रम में भिन्न भिन्न
आकृतियों में ढलती गयी
पास ही रेत का ढेर पड़ा था...
कुम्हार नहीं बनाता रेत से बर्तन
रेत के कण आपस में कभी
पैवस्त नहीं हो सकते !
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मेरे बारे में
शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2008
शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2008
वह संसार नहीं मिलेगा
और एक रोज़ कोई भी सामान
अपनी जगह पर नहीं मिलेगा
एक रोज़ जब लौटोगे घर
और....वह संसार नही मिलेगा
वह मिटटी का चूल्हा
और लीपा हुआ आंगन नहीं होगा
लौटोगे .....और
गौशाले में एक दुकान खुलने को तैयार मिलेगी
घर की सबसे बूढ़ी स्त्री के लिये
पिछवाड़े का सीलन और अंधेरे में डूबा कोई कमरा होगा
जिस किस्सागो मजदूर ने अपनी गृहस्थी छोड़ कर
तुम्हारे यहां अपनी ज़िन्दगी गुज़ार दी
उसे देर रात तक बकबक बंद करने
और जल्दी सो जाने की हिदायत दी जायेगी
देखना-
विचार और संवेदना पर नये कपड़े होंगे!
लौट कर आओगे
और अपनों के बीच अपने कपड़ो
और जूतो से पहचाने जाओगे...!
वहां वह संसार नहीं मिलेगा !!
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अपनी जगह पर नहीं मिलेगा
एक रोज़ जब लौटोगे घर
और....वह संसार नही मिलेगा
वह मिटटी का चूल्हा
और लीपा हुआ आंगन नहीं होगा
लौटोगे .....और
गौशाले में एक दुकान खुलने को तैयार मिलेगी
घर की सबसे बूढ़ी स्त्री के लिये
पिछवाड़े का सीलन और अंधेरे में डूबा कोई कमरा होगा
जिस किस्सागो मजदूर ने अपनी गृहस्थी छोड़ कर
तुम्हारे यहां अपनी ज़िन्दगी गुज़ार दी
उसे देर रात तक बकबक बंद करने
और जल्दी सो जाने की हिदायत दी जायेगी
देखना-
विचार और संवेदना पर नये कपड़े होंगे!
लौट कर आओगे
और अपनों के बीच अपने कपड़ो
और जूतो से पहचाने जाओगे...!
वहां वह संसार नहीं मिलेगा !!
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शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2008
एक गैर दुनियादार शख्स की मृत्यु पर एक संक्षिप्त विवरण़......
एक विडम्बना ही है और इसे गैर दुनियादारी ही कहा जाना चाहिये
जब शहर में हत्याओं का दौर था.....उसके चेहरे पर शिकन नहीं थी
रातें हिंसक हो गयी थीं और वह चैन से सोता देखा गया
यह वह समय था जब किसी भी दुकान का शटर
उठाया जा रहा था आधी रात को और हाथ
असहाय मालूम पड़ते थे
सबसे महत्वपूर्ण पक्ष उसके जीवन का यह है कि वह
बोलता हुआ कम देखा गया था
“ दुनिया में किसी की उपस्थिति का कोई ख़ास
महत्व नहीं ”-
एक दिन चैराहे पर
कुछ भिन्नाई हुई मनोदशा में बकता पाया गया था
उसकी दिनचर्या अपनी रहस्यमयता की वजह से अबूझ
किस्म की थी लेकिन वह पिछले दिनों अपनी
खराब हो गई बिजली और कई रोज़ से खराब पड़े
सामने के हैण्डपम्प के लिये चिन्तित देखा गया था
उसे पुलिस की गाड़ी में बजने वाले सायरनों का ख़ौफ़
नहीं था...मदिर की सीढ़ियाँ चढ़ने में भी उसकी
दिलचस्पी कभी देखी नहीं गई
राजनीति पर चर्चा वह कामचोरों का शगल मानता था
यहां तक कि इन्दिरा गांधी के बेटे की हुई मृत्यु को वह
विमान दुघर्टना की वजह में बदल कर नही देखता था
अपनी मौत मरेंगे सब!!!
उस अकेले और गैर दुनियादार शख़्स की राय थी
जब एक दिन तेज़ बारिश हो रही थी
बच्चे, जवान शहर से कुछ बाहर एक उलट गई बस को
देखने के लिये छतरी लिये भाग रहे थे
वह अकेला और
जिसे गैर दुनियादार कहा गया था,
शख़्स इसी बीच रात के तीसरे पहर को मर गया
तीन दिन पहले उसकी बिजली ठीक हो गई थी
और जैसा कि निश्चित ही था कि घर के सामने वाले
हैण्डपम्प को दो या तीन दिनों के भीतर
विभागवाले ठीक कर जाते
उस अकेले और गैर दुनियादार शख़्स का भी
मन्तव्य था कि मृत्यु किसी का इन्तज़ार नहीं करती
पर जो निश्चित जैसा था और इस पर मुहल्लेवालों की
बात भी सच निकली
उसका शव बहुत कठिन तरीके से
और मोड़ कर उसके दरवाजे़ के बाद की
सँकरी गली से निकला!
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जब शहर में हत्याओं का दौर था.....उसके चेहरे पर शिकन नहीं थी
रातें हिंसक हो गयी थीं और वह चैन से सोता देखा गया
यह वह समय था जब किसी भी दुकान का शटर
उठाया जा रहा था आधी रात को और हाथ
असहाय मालूम पड़ते थे
सबसे महत्वपूर्ण पक्ष उसके जीवन का यह है कि वह
बोलता हुआ कम देखा गया था
“ दुनिया में किसी की उपस्थिति का कोई ख़ास
महत्व नहीं ”-
एक दिन चैराहे पर
कुछ भिन्नाई हुई मनोदशा में बकता पाया गया था
उसकी दिनचर्या अपनी रहस्यमयता की वजह से अबूझ
किस्म की थी लेकिन वह पिछले दिनों अपनी
खराब हो गई बिजली और कई रोज़ से खराब पड़े
सामने के हैण्डपम्प के लिये चिन्तित देखा गया था
उसे पुलिस की गाड़ी में बजने वाले सायरनों का ख़ौफ़
नहीं था...मदिर की सीढ़ियाँ चढ़ने में भी उसकी
दिलचस्पी कभी देखी नहीं गई
राजनीति पर चर्चा वह कामचोरों का शगल मानता था
यहां तक कि इन्दिरा गांधी के बेटे की हुई मृत्यु को वह
विमान दुघर्टना की वजह में बदल कर नही देखता था
अपनी मौत मरेंगे सब!!!
उस अकेले और गैर दुनियादार शख़्स की राय थी
जब एक दिन तेज़ बारिश हो रही थी
बच्चे, जवान शहर से कुछ बाहर एक उलट गई बस को
देखने के लिये छतरी लिये भाग रहे थे
वह अकेला और
जिसे गैर दुनियादार कहा गया था,
शख़्स इसी बीच रात के तीसरे पहर को मर गया
तीन दिन पहले उसकी बिजली ठीक हो गई थी
और जैसा कि निश्चित ही था कि घर के सामने वाले
हैण्डपम्प को दो या तीन दिनों के भीतर
विभागवाले ठीक कर जाते
उस अकेले और गैर दुनियादार शख़्स का भी
मन्तव्य था कि मृत्यु किसी का इन्तज़ार नहीं करती
पर जो निश्चित जैसा था और इस पर मुहल्लेवालों की
बात भी सच निकली
उसका शव बहुत कठिन तरीके से
और मोड़ कर उसके दरवाजे़ के बाद की
सँकरी गली से निकला!
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शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2008
उस स्त्री के बारे में
करवट बदल कर सो गई
उस स्त्री के बारे में तुम्हे कुछ नहीं कहना!
जिसके बारे में तुमने कहा था
उसकी त्वचा का रंग सूर्य की पहली किरण से
मिलता है
उसके खू़न में
पूर्वजों के बनाये सबसे पुराने कुएँ का जल है
और जिसके भीतर
इस धरती के सबसे बड़े जंगल की
निर्जनता है
जिसकी आँखों में तुम्हें एक पुरानी इमारत का
अकेलापन दिखा था
और....जिसे तुम बाँटना चाहते थे
जो... एक लम्बे गलियारे वाले
सूने घर के दरवाजे पर खड़ी
तुम्हारी राह तकती थी!
........................................................ ं
उस स्त्री के बारे में तुम्हे कुछ नहीं कहना!
जिसके बारे में तुमने कहा था
उसकी त्वचा का रंग सूर्य की पहली किरण से
मिलता है
उसके खू़न में
पूर्वजों के बनाये सबसे पुराने कुएँ का जल है
और जिसके भीतर
इस धरती के सबसे बड़े जंगल की
निर्जनता है
जिसकी आँखों में तुम्हें एक पुरानी इमारत का
अकेलापन दिखा था
और....जिसे तुम बाँटना चाहते थे
जो... एक लम्बे गलियारे वाले
सूने घर के दरवाजे पर खड़ी
तुम्हारी राह तकती थी!
........................................................ ं
About That Woman
You have nothing to say
About that woman
Who just turned over
And fell asleep?
Who you said
Wore a skin
The colour of the first rays
Of the sun
In her blood
The waters of
The first ever
Ancestral well
And inside
She carried
The desolation of the greatest
Forest on the earth
In her eyes you have seen
The solitude
Of an ancient edifice
The one you wanted to share
The same woman
Who stood at the gate
Waiting for you
In an empty house
With a long corridor…!
***
Translated from Hindi by Girdhar Rathi
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About that woman
Who just turned over
And fell asleep?
Who you said
Wore a skin
The colour of the first rays
Of the sun
In her blood
The waters of
The first ever
Ancestral well
And inside
She carried
The desolation of the greatest
Forest on the earth
In her eyes you have seen
The solitude
Of an ancient edifice
The one you wanted to share
The same woman
Who stood at the gate
Waiting for you
In an empty house
With a long corridor…!
***
Translated from Hindi by Girdhar Rathi
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रविवार, 5 अक्टूबर 2008
छूट कर जाते हुए...
अंतहीन
समय की रेल पर सवार
धड़धड़ा कर गुजरते हुए
किसी मकाम पर उतर कर
देखना चाहती हूं
उसे
छूट कर जाते हुए .....
. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
समय की रेल पर सवार
धड़धड़ा कर गुजरते हुए
किसी मकाम पर उतर कर
देखना चाहती हूं
उसे
छूट कर जाते हुए .....
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गुरुवार, 2 अक्टूबर 2008
धुंध-सी जिन्दगी
सशंकित आकाश है
मद्धिम ...मद्धिम सांस
तीक्ष्ण तारों की टिम-टिम आंख
कंपकंपाते अंधेरों की थर्राहटों के बीच...
जीवन जमीं पर उतरता
आंखें शून्य में पुतरतीं
सांसें धुंएं में खो जातीं
कल/आज/कल
पल...पल...
जीने को विवश हम
अधकचरी
अनगढ़
एक धुंध-सी जिन्दगी!
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मद्धिम ...मद्धिम सांस
तीक्ष्ण तारों की टिम-टिम आंख
कंपकंपाते अंधेरों की थर्राहटों के बीच...
जीवन जमीं पर उतरता
आंखें शून्य में पुतरतीं
सांसें धुंएं में खो जातीं
कल/आज/कल
पल...पल...
जीने को विवश हम
अधकचरी
अनगढ़
एक धुंध-सी जिन्दगी!
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