सशंकित आकाश है
मद्धिम ...मद्धिम सांस
तीक्ष्ण तारों की टिम-टिम आंख
कंपकंपाते अंधेरों की थर्राहटों के बीच...
जीवन जमीं पर उतरता
आंखें शून्य में पुतरतीं
सांसें धुंएं में खो जातीं
कल/आज/कल
पल...पल...
जीने को विवश हम
अधकचरी
अनगढ़
एक धुंध-सी जिन्दगी!
-------------------------------------
मेरे बारे में
गुरुवार, 2 अक्तूबर 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
3 टिप्पणियां:
Sachmuch aaj ki jindagi bilkul anischit, angadh aur adkachri si hai.
Ati sundar.
Rahul Vatsa
कल/आज/कल
पल...पल...
जीने को विवश हम
अधकचरी
अनगढ़
एक धुंध-सी जिन्दगी!
exceelent creation
Best Packers and Movers in Delhi Online for moving your house in Delhi.
एक टिप्पणी भेजें